Devtaon Ka Vigyan – देवताओं का विज्ञान

देवताओं का विज्ञान जिनको देवताओं का आह्वान कहा जाता रहा है, उसका पूरा विज्ञान है। वे देवता कहीं आकाश से नहीं आते हैं। जिन्हें भूतप्रेत कहा जाता रहा, वे भी किन्हीं नरकों से, किन्हीं प्रेत-लोकों से नहीं आते हैं। वे सब मौजूद हैं, यहीं! असल में एक ही स्थान पर मल्टी-डायमेंशनल एक्झिस्टेंस है। एक ही बिंदु पर बहुआयामी अस्तित्व है। अब जैसे यह कमरा है, यहां हम बैठे हैं। हवा भी है यहां। यहां कोई धूप जला दे तो सुगंध भी भर जाएगी यहां। यहां कोई गीत गाने लगे तो ध्वनि-तरंगें भी भर जाएंगी यहां। धूप का कोई भी कण ध्वनि-तरंग के किसी भी कण से नहीं टकराएगा। इस कमरे में संगीत भी भर सकता है, प्रकाश भी भरा है। लेकिन प्रकाश की कोई तरंग संगीत की किसी तरंग से टकराएगी नहीं। और न संगीत के भरने से प्रकाश की तरंगों को बाहर निकलना पड़ेगा कि जगह खाली करनी पड़े। असल में इसी स्थान को ध्वनि की तरंगें एक आयाम में भरती हैं, और प्रकाश की तरंगें दूसरे आयाम में भरती हैं, वायु की तरंगें तीसरे आयाम में भरती हैं। और इस तरह के हजार आयाम इसी कमरे को हजार तरह से भरते हैं। एक-दूसरे में कोई बाधा नहीं पड़ती। एक-दूसरे को एक-दूसरे के लिए कोई स्थान खाली नहीं करना पड़ता। इसलिए स्पेस जो है वह मल्टी-डायमेंशनल है। यहां हमने एक टेबल रखी है। अब दूसरी टेबल नहीं रख सकते इस जगह। क्योंकि एक टेबल और दूसरी टेबल एक ही आयाम में बैठती हैं। तो इस टेबल को रख दिया तो इस स्थान पर–इसी टेबल के स्थान पर–दूसरी टेबल नहीं रख सकते। वह इसी आयाम की है। लेकिन दूसरे आयाम का अस्तित्व इस टेबल से कोई बाधा नहीं पाएगा। ये सारी आत्माएं ठीक हमारे निकट हैं। और कभी भी इनका प्रवेश हो सकता है। जब इनके प्रवेश होंगे तब जो इनके अनुभव होंगे वे ठीक वैसे ही हो जाएंगे जैसे शरीर में प्रवेश पर होते हैं। – ओशो मैं कहता आंखन देखी प्रवचन – ०४ Translation The Science of the Deities or Gods There is a complete science behind what...

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